Modi and BJP bhakti

जब भी मैं किसी भी सोसल मीडिया या साइट्स पर देखता हूं कि किसी ने ये लिखा हुआ ह की आप मोदी के अंध भक्त हो तो मै आश्चर्य चकित रह जाता हूं ये सोच के की क्या ये जो अंध भक्ति की बात कर रहे है ये किसी के भक्त नही है ? बहुत ही अजीब बात है कि आज हमारी संस्कृति ऐसी होते चली जा रही है जहां हमने अपने धर्म जाति मजहब यहां तक कि किसी को नहीं छोड़ा है . ये सारे लोग या मै कहूं तो शायद हम मै भी अथार्थ हम सब एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए है , आज हम राजनीति में भक्ति ढूंढ़ रहे है हर कोई ये लिख रहा है के आप भक्त हो मोदी के या बीजेपी के । पर क्या जो ऐसा लिख रहे है वो किसी नेता या पार्टी के भक्त नहीं है क्या जरा गौर से एक बार खुद कि आत्मा को टटोल कर पूछे अगर उनको ऐसा लगता ह की नहीं वे लोग किसी के भक्त नई है तो ये उनकी गलत फैयमी है वे भी भक्त है किसी के इसलिए तो वो ऐसा बोल रहे है किसी और कि भक्ति के में । शायद उन्हें भी इस बात का अंदाजा नहीं है कि वो भी किसी के अंध भक्ति में डूबे हुए है इसीलिए इतना जोश में आकर भक्त बना जाते है। कोई भी ये समझने को तैयार नही है कि किसी के ऐसे पोस्ट से दो दोस्त जिनकी विचार धारा अलग होने के बाऊजुद भी एकदुसरे को बिना कुछ बोले दोस्ती निभाते है और एकदुरे को इज्जत और सम्मान देते है इस तरह के पोस्ट के कारण अगले दिन एक दूसरे को कहीं न कहीं विरोधी मान के नफरत का बीज पालने लगते है । इसलिए भक्त मोदी का हो या किसी भी पार्टी का उसे जब अपनी विचारधारा का इस्तेमाल करना ही है तो चुनाव में जा के करे जिसको मन हो वोट करे और खुद के विचार धारा वाले को जिताएं कौन रोक रहा है । जिस तरह मतदान गुप्त होता है उसी तरह विचारो को भी गुप्त रख कर इसका इस्तेमाल उसे जिताने में करे जिसके आप भक्त है । इस तरह भक्ति को माध्यम बना कर न ही सामाजिक दूरियां पैदा करे न ही आपसी मन मोटाओ को बढ़ावा दे । 

बाकी आप सब समझदार ही है।।।।।

English translation:-

Whenever I see on any social media or sites that someone has written that you are blind devotees of Modi, I wonder if they are talking about blind devotion.  Not a devotee?  It is very strange that today our culture is becoming such that we have not left our religion, caste religion even to anyone.  If all these people or I can say that perhaps I too are trying to humiliate one another, today we are looking for devotion in politics, everyone is writing whether you are a devotee of Modi or BJP.  But are those who are writing such that they are not devotees of any leader or party, please inquire at once with their own soul if they feel that they are not new devotees, then it is their wrong faith.  The devotee is also someone, so he is speaking like this in devotion to someone else.  Perhaps they too have no idea that they too are immersed in someone's blind devotion, which is why they become devotees with so much enthusiasm.  No one is willing to understand that two friends from a post whose opinions are different, Baujud also play friendship with each other without saying anything and give respect and respect to Ekadure the next day due to such post.  Somewhere, the seed of hatred of the antagonist starts to be found.  Therefore, whether the devotee belongs to Modi or any party, if he has to use his ideology, then go to the election, whichever mind he votes and who is stopping the people who are of their own opinion.  Just as voting is secret, similarly, keep the ideas secret and use it to win the one whom you are a devotee.  In this way, by making devotion a medium, neither create social distances nor promote mutual mind.

 The rest of you are sensible ...


Nitish kumar

I m very enthusiastic to know about world's incident and political incident . I m very passionate about learning or writing content related to social incident.

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