Border dispute between India and Nepal 2020

  • what is border dispute between India and Nepal in2020 :--

  • So till date, all of us have been thinking and understanding that India and Nepal are big and small brothers of each other.  The relationship of both is related to the time of Ram Sita.  But on May 9, 2020, when Nepal declared an area like Lipulekh Kalapani and Limpadhura, it was as if all Indians felt how Nepal could show India its eyes.  Many people were surprised and many people started comparing India Nepal.  Some people believe that China is behind Nepal.  Because both Nepal and China have communist government.


  •  When all people call someone brother in hope or in love, they probably always forget that whenever it comes to the property or property, on that day, brother goes for a new path.  Let us now talk about what is the dispute between Nepal and India.
 
  • Present nature of dispute: -

  • India is constructing an 80 km road from Ghatiyabgarh to Lipulekh Dara to go to Kailash Mansarovar.  Which was inaugurated by the then Defense Minister Rajnath Singh on 8 May 2020.  On May 9, 2020, Nepal issued a map expressing Kalapani, Lipulekh, and Limpudhara as part of Nepal, objecting to this road construction.
  • What is the road case: ---

  • Presently, Kailash Mansarovar falls in part of China (Tibet).  Which is the most sacred place for the Hindu.  There are three routes to visit Kailash Mansarovar.
  •  1. via Nathula Dara of Sikkim.
  •  2. via Nepal.
  •  3. Through Uttarakhand.  
  • The journey to reach Kailash Mansarovar via both the routes is completed in 20 days.  But the Kailash Mansarovar Yatra from Uttarakhand can be completed in just 3 days.
 

  •  The portion of the road that contains Uttarakhand can be divided into three parts.
  •  1. Pithoragarh to Tawagarh (107 km)
  •  2. Tawagarh to Ghatiyabgarh (19 km)
  • 3. Lipulekh Dara (80 km) from Ghatiyabgarh
  •  The road from Ghatiyabgarh to Lipulekh Dara, in which 76 km of road construction has been completed.  The remaining 4 km route will also be completed by the end of this year.  This entire route goes through hilly and dense forests.  That is why there is a delay in making way.  On this route, Nepal has expressed its importance to Kalapani, Lipulekh, and Limpudhura as its part.  Nepal had raised objections to this road in 2015 as well when India talked about building a road for trade with Lipulekh with China
  •   Nepal's stand on this dispute: ---

  • Nepal says that the main stream of Kali River originates from Limpudhura.  Hence Limpudhura, Kalapani and Lipulekh fall in the eastern part of the river Kali.  And so all these areas are under the Sugauli Treaty.
  •  India's stand on this dispute: ---
  •  India says that the main stream of Kali river originates from Kalpani (village).  And all these areas fall in the western part of Kali River and India is building a road in its area.  For this reason Nepal should not have any dispute.
  •  What is the main stream of Kali River: ---
  •  In fact, the Kali river comes from several streams with dense forests from different waterfalls.  And from where this stream comes down and forms a stream in the plane, we call it the main stream.
  • Historical controversy: ---
  •  The historical nature of the border dispute is the Treaty of Sugauli between India and Nepal ruled by the British, which took place on 4 March 1816 in the town of Sugauli in Champaran Bihar.
  • What is Sugauli Treaty: ---

  •  In the year 1765, Prithvinarayan Shah founded the Gorkha Samaj in Nepal.  Under his leadership, the Gurkhas increased their power by joining the princely states and princely states of Nepal.  After this, Nepal invaded China in the year 1790, when China supported Tibet, it forced the Gorkhas to enter into a treaty in 1792.  Then after 25 years, Gorkha took possession of the Indian state of Sikkim, Garhwal, Kumaon.  Then there was British rule in India, due to which the British started a war against Gorkha in the year 1814.  The British forced a treaty at Sugauli on 2 December 1815, defeating the Gorkhas.  In which Lieutenant Colonel Peris Breedash signed on behalf of East India Company and Rajguru Gajraj Mishra on behalf of Nepal.
 
  • This treaty force on 4 March 1816.  Which we all know as the Treaty of Sugauli.
  •  In this treaty, two-thirds of the parts of the Gorkha conquered in India were withdrawn from Nepal.  And they had to be confined to the Machi River in the east and the Kali River in the west.  In this treaty, it was said that Nepal's east part of Kali river will be while the west side of India.  But at that time, no border was fixed, due to which today there is a dispute over about 60 thousand hectares of land and 54 places in which major places like Kalapani, Sushta, Maichy, Tanakpur, Limpudhura, etc.Even after the India-China war at the time of 1962, Nepal had laid claim to the script.  In 1981, 98% of the borders of India and Nepal were almost fixed.

  •  Perhaps now you have understood what kind of border dispute between Nepal and India.  Whatever the border dispute is today, the reason for all this was the British rule, but our government also contributed equally to it.  Even after all the years after independence, if the border of our country could be properly fixed and this is the reason why today even a small country Nepal dares to show India its eyes.  But even in the coming time, if the solution of these border disputes is found new by the governments, then it can also become the reason for war at some time.  That is why in today's world full of diplomacy, neither can I call a country nor a human being.  The rest of you are sensible.


  •  Thank you .






Hindi translation:-------


वैसे तो हम सभी आज तक यही सोचते और समझते आए है कि भारत और नेपाल एक दूसरे के बड़े और छोटे भाई है। दोनों का सम्बन्ध राम सीता के समय से ही जुड़ा हुआ है। पर 9 मई 2020 को जब नेपाल ने लिपुलेख कलापनी और लिंपाधुरा जैसे इलाके को अपना बताया तो मानो सभी भारतीयों को ऐसा लगा कि नेपाल भारत को कैसे आंख दिखा सकता है। बहुत से लोगो को यह बात आश्चर्य लगी और बहुत से लोग भारत नेपाल की तुलना भी करने लगे। कुछ लोगो का तो यह मानना है कि नेपाल के पीछे चीन का हाथ है। क्योंकि नेपाल और चीन दोनों के यहां कम्युनिस्ट सरकार है।


सभी लोग आशा में या कहे तो प्यार में जब किसी को भाई बुलाते है तो वो शायद यह हमेशा भूल जाते है कि जब भी बटवारा या सम्पत्ति की बात आती है, उस दिन भाई भाई नई राह जाता है। चलिए अब बात करते है नेपाल और भारत का क्या है सीमा विवाद।


विवाद का वर्तमान स्वरूप :--

भारत द्वारा घटियाबगढ़ से लिपूलेख दरा तक भारत कैलाश मानसरोवर जाने के लिए 80 किमी का सड़क निर्माण कर रहा है। जिसका उद्घाटन 8 मई 2020 को तात्कालिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। इसी सड़क निर्माण को लेकर नेपाल ने 9 मई 2020 को ऐताराज जताते हुए कलापानी, लिपूलेख, और लिंपुधारा को नेपाल का अंग मानते हुए एक नक्शा जारी किया ।

क्या है सड़क का मामला:---

वर्तमान में कैलाश मानसरोवर चीन(तिब्बत) के हिस्से में आता है। जो हिन्दू के लिए सबसे पवित्र स्थान है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीन रास्ते है।
1. सिक्किम के नाथुला दरा से होकर।
2. नेपाल से होकर ।
3. उत्तराखंड से होकर।
पहले दोनों रास्ते से कैलाश मानसरोवर जाने कि यात्रा 20 दिनों में पूरी होती है। लेकिन उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर यात्रा महज 3 दिनों में पूरी कि जा सकती है। 

उत्तराखंड वाले रास्ते के हिस्से को तीन हिस्सों में बांटा का सकता है।
1. पिथौरागढ़ से तवागढ़ (107किमी)
2. तवागढ़ से घटियाबगढ़(19किमी)
3. घटियाबगढ़ से लिपुलेख दरा(80किमी)
घटियाबगढ़ से लिपूलेख दरा का जो रस्ता है जिसमें 76 किमी का सड़क निर्माण पूरा हो गया है। बाकी का 4 किमी का भी रास्ता भी इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। ये पूरा रास्ता पहाड़ी और घने जंगलों से होकर जाता है। इसी कारण रास्ता बनाने में देरी हुई है। इसी रस्ते पर नेपाल ने ऐतारज जताते हुए कालापनी, लिपूलेख, और लिंपुधुरा को अपना अंग माना है। इस सड़क पर 2015 में भी नेपाल ने उस समय आपत्ति जताई थी जब भारत ने चीन के साथ लिपूलेख का मार्ग व्यपार के लिए सड़क बनाने की बात कही थी।

इस विवाद पर नेपाल का रुख:---

नेपाल का कहना है है कि काली नदी कि मुख्य धारा लिम्पुधुरा से निकलता है। इसलिए लिमपुधुरा, कालापानी और लिपूलेख काली नदी के पूर्वी भाग में आता है। और इसलिए सुगौली संधि के तहत ये सारे इलाके उसके है।

भारत का इस विवाद पर रुख:---

भारत का कहना है कि काली नदी कि मुख्य धारा कालपानी (गांव) से निकलती है। और ये सारे इलाके काली नदी के पश्चिमी भाग में पड़ती है और भारत अपने इलाके में सड़क बना रहा है। इस कारण नेपाल को कोई विवाद नहीं होना चाहिए।

क्या है काली नदी की मुख्य धारा:---
दरअसल काली नदी कई धारा से अलग अलग झरने से घने जंगलों से हो कर आती है। और जहा से ये धारा नीचे उतर कर समतल में एक धारा बनती है तो उसे हम मुख्य धारा कहते है।

ऐतिहासिक विवाद:---

सीमा विवाद का ऐतिहासिक स्वरुप अंग्रेजो द्वारा शासित भारत और नेपाल के बीच हुई सुगौली कि संधि है, जो 4 मार्च 1816 को चम्पारण बिहार के सुगौली शहर में हुआ था।

क्या है सुगौली कि संधि:---

वर्ष 1765 में नेपाल में पृथ्वीनारायण शाह ने नेपाल में गोरखा समाज कि स्थापना की । उन्हीं के नेतृत्व में गोरखा ने नेपाल के छोटे छोटे राज्यो रजवाड़ों और रियासतों को मिला कर अपने शक्ती को बढ़ाया। इसके बाद वर्ष 1790 में नेपाल ने चीन पर आक्रमण कर दिया तब चीन ने तिब्बत का साथ देते हुए गोरखाओ को 1792 में संधि करने पर मजबुर कर दिया। फिर उसके बाद 25 साल में ही गोरखा ने भारत के राज्य सिक्किम, गढ़वाल, कुमाऊं पर अधिकार जमा लिया। तब भारत में अंग्रेज़ी शासन हुआ करता था जिसके कारण अंग्रेजो ने गोरखा के खिलाफ वर्ष 1814 में युद्ध छेड़ दिया। अंग्रेजो ने गोरखा को हराते हुए 2 दिसंबर 1815 को सुगौली में एक संधि करने को मजबुर करता किया । जिसमें ईस्ट इण्डिया कम्पनी के तरफ से लेफ्टिनेंट कर्नल पेरीस ब्रेडाश और नेपाल की ओर से राजगुरु गजराज मिश्र ने हस्ताक्षर किए।
 यह संधि 4 मार्च 1816 को अमल में आई। जिसे हम सब सुगौली संधि के नाम से जानते है।
इस संधि में नेपाल से दो तिहाई वो हिस्से वापस लिए गए जिसे गोरखा ने भारत में जीता था। और उनको पूर्व में मैची नदी तक तथा पश्चिम में काली नदी तक सीमित होना पड़ा। इस संधि में ये कहा गया कि काली नदी के पूर्व का हिस्सा नेपाल का होगा जबकि पश्चिम का इलाका भारत का। लेकिन उस समय कहीं भी सीमा तय नहीं की गई, जिसके कारण आज करीब 60 हजार हेक्टेयर भूमि और 54 जगहों जिन में कालापानि, सुष्ता, मैचि, टनकपुर, लिंपुधूरा इत्यादि प्रमुख है।
 वर्ष 1962 के समय भारत चीन युद्ध के बाद भी नेपाल ने लिपूलेख पर अपना दावा ठोका था। 1981 में भारत और नेपाल के 98% सीमा लगभग तय भी कर लिए गए थे।

शायद अब आप समझ गए होंगे कि नेपाल और भारत के बीच में किस तरह का सीमा विवाद है। आज जो भी सीमा विवाद है, उस सब का कारण अंग्रेजी हुकूमत तो थी ही , पर हमारी सरकार का भी उस में उतना ही योगदान रहा। आजादी के बाद भी इतने सालो में अगर हमारे देश का सीमा अच्छे से तय नई किया जा सका और यही कारण है कि आज छोटा सा एक देश नेपाल भी भारत को आंख दिखाने का साहस करता है। पर आने वाले समय में भी अगर ये सीमा विवादों का हल सरकारों द्वारा नई ढूंढा गया तो ये कभी ना कभी युद्ध का कारण भी बन सकता है । इसलिए आप आज कि कूटनीति से भरी दुनिया में ना ही किसी देश को भाई बोल सकते है ना ही किसी इंसान को । बाकी आप सब समझदार है।


धन्यवाद । 
Nitish kumar

I m very enthusiastic to know about world's incident and political incident . I m very passionate about learning or writing content related to social incident.

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